सभी लोग वस्त्र पहनते हैं । वस्त्र मौसम तथा ऋतु के अनुकूल होते हैं। दर्जी अलग- अलग व्यक्तियों के अनुरूप वस्त्र सिलकर समाज की मदद करता है । वह वस्त्रों पर कारीगरी करता है जिससे पोशा क सुंदर दिखाई देने लगती है । दर्जी का काम बहुत मेहनत का है। वह सिलाई मशीन एवं अन्य औजारों को रखता है । कैंची, सुई – धागा, माप लेने का फीता, स्केल, पैंसिपैं ल, हैंगर आदि उपकरणों को हमेशा रखता है । वह वस्त्रों को मापता है । वह व्यक्ति की सही माप लेता है और वस्त्रों पर या रसीद बही पर उस माप को दर्ज कर लेता है । वस्त्रों की सिलाई पूर्ण होने पर वह उनमें बटन आदि लगाने का काम हाथों से करता है । अंत में वह वस्त्रों पर इस्तरी करता है और वस्त्रों को मोड़कर हैंगर पर लटका देता है । उसकी मेहनत से तैयार शोभायुक्त वस्त्रों को पहनकर व्यक्ति स्वयं को गौरवान्वित समझता है ।