शीला को रात का आकाश देखना अच्छा लगता है। रात में बहुत सारे तारे चमकते हैं। कभीकभी, वह अपने पिताजी के कंधों पर चढ़ जाती। उसे लगता वह राजकुमारी है और तारों के और निकट बैठी है। एक दिन दोपहरबाद उसके पिता ने कहा, “हम समुद्रतट को जाने वाले हैं। क्या यह मजेदार नहीं है?” शीला खुश नहीं थी। अगले दिन सुबह वे समुद्रतट को गए और शीला ने सीपियाँ इकट्ठी कीं। शीला को एक अनूठी चीज मिली। यह बड़े संतरी रंग के गुदगुदे तारेसी लग रही थी। क्या यह आकाश से गिरा? और यह चमक क्यों नहीं रहा है? “यह तारा नहीं है” उसके पिता मुस्कुराए। “यह तारामीन है। यह समुद्र में रहती है।” शीला ने तारामीन को समुद्र में रख दिया। वे लहरें देखते रहे जो तारामीन को वापिस समुद्र की ओर को बहा ले गईं। इसके बाद शीला और तारामीनों को ढूँढने लगी। उसे तारे और तारामीन दोनों पसन्द हैं। उसने समुद्रतट पर लाने के लिए अपने पिता को धन्यवाद दिया।